Tuesday 24 February 2015

रिवायतों को बदल देने की ज़रूरत है


जिस नस्ल की सिविलाइज़ेशन जितनी पुरानी होती है , उसकी ज़ेहनी ग़ुलामी के बंधन भी उतने ही ज़्यादा होते हैं . मुसलमानो की सिविलाइज़ेशन पुरानी है , इसमें तो शक ही नहीं और इसलिए इसके आगे बढ़ने में रुकावटे भी ज़्यादा हैं .अपने इस्लाम को प्राचीन मज़हब और उसके मैंने वालो को हमेशा से दुनिया के सभी नस्लों से ऊपर साबित करने की बुरी सोच से मुतास्सिर होकर हम जो कुछ अनाप शनाप तारीखी खोज के नाम पर लिखे , उसको अगर दानिश्वर न माने तो झट से फतवा पास कर देना की सभी मग़रिबी मोअर्रिख अंग्रेजी , फ़्रांसिसी , जर्मन और इटालियन और रूसी , डच सभी बेईमान हैं . इन भले मानसों के ख्याल में आता है की अगर वे किसी तरह अपने दानिशमंदो और किताबो को सबसे पुराना साबित कर दे तो उनका काम बन जाये . आज हमारे पास बम बारूद मशीन गन या तोपे हो या न हो पर अगर हम राजा भोज के उड़ने वाले घोड़े या अलादीन के चराग को साबित कर दे तो हमारी पांचो उंगलियां घी में .......
बारूद और उड़न खटोला में तो झूट सच पकड़ने की गुंजाईश है , लेकिन मज़हब में तो अँधेरे में काली बिल्ली देखने के लिए हर आदमी आज़ाद है उसने अपने हुनर , रूपये पैसे और धोके धड़ी से कुछ आँख के अंधे के गांठ के पूरो को मिलकर एक नकटी सोच कायम कर दिया और फिर लगी छोटी मोटी , बेवक़ूफ़ या पढ़ी लिखी , काली या सफ़ेद भेड़े हा हा कर नाक कटाने .ज़िन्दगी भर वह बदमाश मौज मारता रहेगा . उसके मरने के बाद उसे मानने वाले उसे और बढ़ा चढ़ा कर पेश कर देंगे . अगर उस जमात को कुछ सालो तक अपने इस इशतहार में कामयाबी मिल गयी तो फिर वह दुनिया के लिए आला मकाम हासिल कर लेगा . और इस तरह वो दुनिया के लोगो को दिमागी ग़ुलाम बना लेगा .
नज़दीक से देखे तो ये मज़हबी लोगो के हुजरे ढोंग और मक्कारी से भरे हुए हैं और मज़हब का कारोबार पूरे सो सेकडे नफे के रोज़गार हैं . 
एक नया फिरका यहाँ पिछले 50 या 60 सालो से चल निकला है . ये लोग दुनिया भर की सारी बेवकूफियों , भूत प्रेत , जादू टोनो सबको साइंस से सही करार देने में लगे हैं. इन अंध भक्तो और पैगम्बरों ने हम्मे अपने माज़ी के लिए एक अजीब भक्ति पैदा कर दी है और फिर हमारी इन सभी बेवकूफियों को साबित करने के लिए साइंस की मनघड़ंत थ्योरी तैयार हैं .फिर क्यों न हम अपनी अक्ल बेच के खाने के लिए तैयार हो जाएँ ...तिपाई (और अब टीवी) पर भूत बुलाना, मेस्मेरिस्म , हिप्नोटिस्म को हथ्यार बनाकर साइंस को ढाल बनाकर हमें अपनी फैलती जा रही बेवकूफियों के पास ले जाय गया है . 
अब तक पढ़े लिखे लोग नजूमी को झूट समझते थे लेकिन अब तो पढ़ा लिखा तबका भी इसमें इसमें यकीन रखने लगा है और अब इसे पक्का साइंस समझते हैं ....नजूमी लोग क़ौम परस्ती के ख्याल से अपनी तनख्वाह काम करने को तैयार होंगे ही ,फिर क्या ज़रूरत है इन सब के होते विदेशी इंस्ट्रूमेंट को दूसरे मुल्को से खरीदा जाए . हमारे नजूम ही मौसम का हाल घर बैठे बता दिया करेंगे. भूकम्प आने की खबर मिंटो में दे दिया करेंगे फिर बाहर मुल्को के सइंसदा मंगवाने की क्या ज़रूरत होगी , इतने महंगे एक्सपर्ट्स की क्या ज़रूरत . हमारे अपने नजूमी इसी काम को हज़ार पन्दरह सो रूपये में कर दिया करेंगे ...उनकी मदद के 8 या 10 जूनियर नजूमी उनके साथ रख दिए जायेंगे .....
हमारी जात पात वाली तकनीक को ही ले लीजिये . यह हमारे दानीश्वरो के उन बड़ी खोज में से है जिस पर हमें बहुत नाज़ है . आज हम इन दानीश्वरो पर इतना नाज़ करते हैं की हमें अपने आप को खान , पठान ,सय्यद,तुर्क कहते हुए फख्र होता है . हम इन्ही महान खोजो की वजह से एक दूसरे को नीचे दिखाने में लग जाते हैं ..आज उन दानीश्वरो की इस महान खोज का सही इस्तेमाल हमारी सियासी रहनुमा करते हैं . जो वोट को इकठ्ठा करने के लिए इन्ही दानीश्वरो की दलीले पेश करते हुए दीखते हैं .....अब हमारे सियासी रहनुमाओ को बड़ा हिस्सा अपने उन आला हज़रतो की ताईद करने और उनकी सो कॉल्ड टीचिंग को आगे बढ़ने में गुज़रता है .....
आज इस्लाम की राह पे पैर रखने वालो को सोचना चाहिए आप तब तक अच्छी जमात नहीं बना सकते जब तक आप इन दीवारो को तोड़ कर न गिरा दे . अगर कोई जमात अपने आप को सच्ची जमात कहती और है साथ में ये भी कहे की हम ही बेस्ट हैं तो वो लोग ईमानदार नहीं हैं अपने मज़हब के लिए .हमें आज ही अब ही ये दीवार तोड़ कर गिरनी होंगी ..
आँख बंद करके हमें वक्त का इंतज़ार नहीं करना चाहिए . हमें अपनी ज़ेहनी ग़ुलामी की एक एक बेड़ी को बेदर्दी के साथ तोड़ने के लिए तैयार होना चाहिए .. बाहरी इंक़िलाब से कही ज़्यादा ज़रूरी है हमें ज़ेहनी इंक़िलाब लाना होगा ..हमें अपने आगे पीछे दाए पीछे सभी ज़ेहनी ग़ुलामी को नंगी तलवार चलते हुए अपनी अंध विश्वासो को काटकर आगे बढ़ना चाहिए ..इंक़िलाब एक बड़ी आग है वो सिर्फ गाव के एक झोपड़े को जलाकर ही नहीं चली जाएगी बल्कि वह उसके कच्चे पक्के सभी घरो को जलाकर ख़ाक कर देगी और हमें नए सिरे नए महल बनाने के लिए नीव डालनी होगी .....



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